सर्वनाम और सार्वजनिक विशेषण में अन्तर


सर्वनाम और सार्वजनिक विशेषण में अन्तर

जो शब्द (यह, वह, कोई, आदि) संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं और अकेले आते है तो, वे सर्वनाम कहलाते है । 

जब ये शब्द (यह, वह, कोई, कुछ आदि) संज्ञा के बदले आते है और संज्ञा की ओर संकेत करते है तो ये सार्वजनिक विशेषण बन जाते है । 

जैसे – (क) वह खेलता हैं । (सर्वनाम)
          वह फूल मेरा है । (विशेषण)

        (ख) कोई गा रहा है । (सर्वनाम)
            कोई बालक रो रहा है । (विशेषण)

संख्यावाचक विशेषण और परिमाण वाचक विशेषण में अन्तर

जो शब्द संज्ञा का ज्ञान कराएँ, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहतें है । गिनती कराने वाले शब्द संख्यावाचक होते है । जिन वस्तुओं की नाप तोल की जा सके, उनके वाचक शब्द परिमाण वाचक विशेषण कहलाते है । जैसे कुछ बालक खेल रहे है । (संख्यावाचक) कुछ पानी नीचे गिर गया । (परिमाणवाचक)

विशेषणों के विकार

१.विशेषण शब्द विकारी होते है । अतः विशेषणों के लिंग, वचन, और कारक विशेष्य के अनुसार बदलते हैं ।
जैसे – अच्छा बच्चा ।            अच्छी बच्ची ।
अच्छे बच्चे ।              अच्छी बच्चियाँ ।

अकारान्त पुल्लिंग विशेषणों के रुप बहुवचन में नही बदलते ।
जैसे – सुन्दर, किशोर, सभी सुन्दर बालक ।

२.हिन्दी में विशेषण शब्दों के आगे विभक्ति चिन्ह नही लगते ।
जैसे – वीर बालक का, ऊँचे घर में । यहाँ ‘वीर’ और ‘ऊँचे’ शब्द विशेषण हैं । इनमें कारक चिन्ह नही लगे ।

३.आकारान्त विशेषण बहुवचन में परिवर्तित होते समय ‘एकारान्त’ हो जाते है ।
जैसे –अच्छा लड़का, अच्छे लड़के ।

४.कुछ तत्सम विशेषणों के तत्सम स्त्रीलिंग रुपों का ही प्रयोग किया जाता हैं ।
जैसे – विदुषी कन्या, रुपवती पत्नी । 

५.अनेक बार विशेष्य का लोप कर विशेषणों का ही संज्ञा के रुप में प्रयोग किया जाता है ।
जैसे – बडों का आदर करों । वीरों का सम्मान करो । 

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