शब्द-विचार (MORPHOLOGY)
शब्द एक शक्ति है
। शब्द मनुष्य के ज्ञान का आथार बिन्दु है। शब्द में एक ऐसी शक्ति है ,जिसके माध्यम से मनुष्य अपने अनुभवो को दुसरो तक पहुचाने का सामर्थ्य
रखता है । शब्द मनुष्य की भाषा और उसकी समस्त
संप्रेषण शक्तियों का आधार है । व्याकरण में
इस शब्द –व्यवहार की सभी विधियो से परिचय प्राप्त
करते है । शब्दों के प्रकार , व्युत्पत्ति
,रुप, आदि का विवेचन और अध्ययन इस ‘शब्द-विचार’ के अन्तर्गत ही करते है ।
शब्द –एक या अनेक वर्णो से बनी सार्थक
और स्वतन्त्र ध्वनि को शब्द कहते है ।जैसे
–आ, हम ,वहाँ सूर्य आदि ।
भाषा में शब्द का महत्व
– भावो और विचारो को व्यक्त करने का साधन भाषा है । शब्द ही भाषा का आधार है । क्योंकि
शब्दों से ही वाक्य और वाक्यो से ही भाषा बनती है ।
शब्द और पद – स्वतन्त्र और सार्थक
वर्ण–समुह ‘शब्द’ कहलाता है ; किन्तु जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त हो जाते है तो ‘पद’
कहलाते है। जैसे:-‘लडकी’, ‘खाना’ और ‘खाया’
शब्द है; किन्तु जब हम कहते है- ‘लडकी ने खाना खाया’ तो उपर्युक्त तीनो शब्द ‘पद’ कहलाते
है ।
शब्दों के भेद -
१. सार्थक २. निरर्थक
१. सार्थक शब्द – जिन शब्दो का कुछ अर्थ होता है , वे सार्थक
शब्द कहलाते है ।
जैसे - सडक , पेड ,धीरे – धीरे आदि ।
२. निरर्थक शब्द –जिन शबदों का कोई
अर्थ ना हो ,वे निरर्थक शब्द कहलाते है ।
जैसे –हों –हों ,भों –भों आदि ।