प्रत्यय
जो शब्दांश शब्दों के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ को बदलते है,
उन्हें प्रत्यय कहते है ।
जैसे- फल- वाला (प्रत्यय) फलवाला
बल- हीन (प्रत्यय) बलहीन
बुढ़ा-
पा (प्रत्यय) बुढ़ापा
प्रत्यय के भेद
१.क्रिया- प्रत्यय २.कृत्प्रत्यय ३.तध्दित प्रत्यय
१.क्रिया प्रत्यय- धातु के अन्त में जिन प्रत्ययों के लगाने से क्रियाएँ
बनती है, वे क्रिया प्रत्यय कहलाते है। जैसे- शब्द-खाया । यहाँ धातु-खा, प्रत्यय- या
है।
खाता है, खायेगा, खाओ, आदि में लगे ‘ता’ है ‘येगा’ और ‘ओ’ क्रया
प्रत्यय है ।
२.कृत्प्रत्यय- धातुओं
के अन्त में जिन प्रत्ययों के लगाने से संज्ञा, विशेषण आदि शब्द बन जाते हैं, वे कृत्प्रत्यय
कहलाते है। कृत्प्रत्यय लगाने से वे शब्द ‘कृदन्त’ शब्द कहलाते है।
जैसे- कृदन्त कर्त्तव्य
संस्कृत
धातु कृ
संस्कृत
प्रत्यय तव्य
कर्तृप्रत्यय के प्रकार
(क) कर्तृबाधक- जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात्
कर्ता का बोध हो, उसे कर्तृबाधक कृदन्त कहते है। जैसे- वाला, हारा, सारा, आका आदि।
कर्तृबाधक
बनाने की रीति
मूल शब्द प्रत्यय कृदन्त
चाहना वाला
चाहने वाला
बेचना वाला
बेचने वाला
सिरजन हार सिरजनहार
मिलन सार
मिलनसार
लड़ना आकू,
आका लड़ाकू, लड़ाका
तैरना आक तैराक
गाना वैया गवैया
बिकना आऊ बिकाऊ
भागना ओड़ा भगोड़ा
कुदना अक्कड़ कुदक्कड़
(ख) कर्म वाचक- जिस
प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का बोध हो, वह कर्म वाचक कृदन्त कहलाता है। धातु
के अन्त में ना, नौ, औना प्रत्ययों को लगाने से कर्म वाचक कृदन्त बनते है।
जैसे- प्रत्यय मूल
शब्द शब्द रुप
ना गा, गवाँ, बचा
गाना, गवाँना, बचाना, ओड़ना
नौ ओढ़, कतर, सुघँ औढ़्नी, कतरनी, सूघँनी
औना खेल, बिछ खिलौना, बिछौना,
(ग) करण वाचक- जिस
प्रत्यय से बने शब्द से क्रिया के साधन अर्थात ‘करण’ का बोध हो, उसे करण वाचक प्रत्यय
कहते है । धातुओं के आगे आ, ई, क, न, ना, नो, आदि प्रत्ययों को लगाने से करण वाचक प्रत्यय
बनते है। जैसे-
क्रिया प्रत्यय
शब्द
रुप
झूल आ झूला
झाड़ू ऊ झाड़ू
कतर नी कतरनी
मथ आनी मथानी
फासँ ई फाँसी
कसना औटी कसौटी
ढ्क ना ढकना
(घ) भाववाचक - जिन
प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञाएँ बनती है, का पता चले, उन्हें भाववाचक प्रत्यय कहते है।
धातु के आगे आई, आन, आप, आहट, ना आदि प्रत्ययों के लगाने से भाव वाचक प्रत्यय बनते
है। जैसे- लिख- आवट (प्रत्यय) = लिखावट
धातु प्रत्यय
शब्द
रुप
लड़ आई लड़ाई
मिल आन मिलान
मिल आप मिलाप
चढ़ आई चढ़ाई
उठ, सुन ना उठना,
सुनना
बोल ई बोली
समझ औता समझौता
बस ऍरा बसेरा
(ड़) क्रिया वाचक
- जिन प्रत्ययों से बने शब्द से क्रिया के होने का भाव प्रगट हो, अथवा विशेष अर्थ की
बोधक क्रियाएँ बनती है, उसे क्रिया वाचक प्रत्यय कहते है। ये हें- ‘ता’ ‘या’ ‘आ’ ‘कर’
‘ते’ आदि । जैसे-
क्रिया प्रत्यय उदाहरण
बोल, खोल, खा, ता बोलता, खोलता,
खाता
दिखा, सो या दिखाया, सोया
चल, देख आ चला, देखा
खा, पी, हँस कर खाकर, पीकर, हँसकर
बोल, हँस ते बोलते, हँसते
३. तद्धित प्रत्यय-
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, तथा विशेषण शब्दों के अन्त में लगाकर उन्हें नया शब्द
रुप प्रदान करते है, तद्धित प्रत्यय कहलाते है । इसके योग से बने शब्द तद्धित या तद्धितांत
कहलाते है। जैसे- मानव+ता =मानवता अपना+पन= अपनापन गुण+वान= गुणवान
तद्धित
प्रत्यय के भेद
१.कर्तृवाचक- वे प्रत्यय
जिनके जुड़ने से करने वाले का बोध हो, कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते है।
जैसे- लकड़+हारा= लकड़हारा
मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द
गाड़ी, पान वाला गाड़ीवाला, पानवाला
तेल, रोग ई तेली, रोगी
सोना, लोहा, चम आर सोनार, लुहार, चमार
साँप, लुट एरा सपेरा, लुटेरा
कारी गर कारीगर
मुख, रसोई इया मुखिया, रसोईया
खजान ची खजानची
ईमान दार ईमानदार
पत्र कार पत्रकार
२.गुणवाचक – जिन प्रत्ययों
के लगाने से पदार्थ के गुण का बोध हो, या शब्द विशेषण रुप में बदल जाय, उन्हिं गुणवाचक
प्रत्यय कहते है। जैसे- धर्म+ ईक = धार्मिक
मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द
इतिहास, नगर इक एतिहासिक, नागरिक
भूख आ भूखा
धन, सुख, ज्ञान ई धनी, सुखी, ज्ञानी
सुन हरा सुनहरा
रुप हला रुपहला
बुद्धि मान बुद्धिमान
धन वान धनवान
कृपा आलू कृपालू
३.स्त्रीवाचक -जिन
प्रत्ययों के लगाने से स्त्री जाति का बोध हो, उन्हें स्त्री वाचक तद्धित प्रत्यय कहते
है। जैसे- पति+ नी= पत्नि
मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द
देवा, जेठ आनी देवरानी, जेठानी
रुद्र, इन्द्र आनी रुद्राणी, इन्द्राणी
देव, लड़का ई देवी, लड़की
सुत, प्रिय आ सुता, प्रिया
धोबी इन धोबिन
४.ऊनता वाचक- जिन
प्रत्ययों के लगाने से पदार्थ की लघुता का ज्ञान हो, उन्हें ऊनता वाचक तद्धित प्रत्यय
कहते है ।जैसे- पहाड़ +ई =पहाड़ी
मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द
खाट, कुत्ता इया खटिया, कुतिया
कोठ री कोठरी
मण्डल ई मण्डली
५.भाव वाचक- वे प्रत्यय
जिनके जोड़ने से संज्ञा व विशेषण किसी
भाव का बोध हो, भाव वाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते है । जैसे- सुन्दर+ ता= सुन्दरता
मूल शब्द प्रत्यय
नया शब्द
मनुष्य, लघु ता मनुष्यता, लघुता
रंग त रंगत
ऊँच आई ऊँचाई
एक ता एकता
बन्धु ता बन्धुता
मान औती मनौती
बूढ़ा आपा बूढ़ापा
पंडित य पांडित्य
चिकना आहट चिकनाहट
लड़का, बच्चा पन लड़कपन, बचपन
मीठा आस मिठास
६.अपत्य वाचक – वे
प्रत्यय जिनके जुड़ने से शब्द के रुप में आन्तरिक परिवर्तन हो जाता है, और शब्द का
अर्थ अपत्य (सन्तान) वाचक हो जाता है। इनमें आदि स्वर की वृद्धि (इ,को,ए, उ, को, औ)
हो जाती है। और शब्द के अन्तिम ‘इ’ को ‘य’,’उ’ को’व’ हो जाता है।
मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द
रघु, मनु अव राघव,
मानव
यदु अव यादव
नर आयन नारायण
विष्णु अव वैष्णव
कुन्ती अव कौन्तेय
७.सम्बन्ध वाचक- जिन
प्रत्यतों के जोड़ने से सम्बन्ध का बोध हो, सम्बन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते है।
जैसे-
प्रत्यय उदाहरण
एरा चचेरा,
ममेरा
जा भानजा,
भतीजा
आल ससुराल,
ननिहाल
ई पंजाबी,
गुजराती, बंगाली, सिंधी
वाला डेरेवाला,
दिल्ली वाला, समोसे वाला
इया कलकतिया,
जबलपुरिया, अमृतसरिया
८.गणनावाचक- जिन प्रत्ययों
के जोड़ने से बने शब्द से संख्या का बोध हो, उन्हें भाव वाचक तद्धित प्रत्यय कहते है।
जैसे-
प्रत्यय उदाहरण
वा पाँचवा,
सातवाँ, दसवाँ
था चौथा
रा दूसरा,
तीसरा
ला पहला
गुना दोगुना
९.सादृश्य वाचक- जिन
प्रत्ययों के जुड़ने पर बने शब्द से समता का बोध हो, उसे सादृश्य वाचक तद्धित प्रत्यय
कहते है। जैसे-
प्रत्यय उदाहरण
हरा सुनहरा,
रुपहरा
सा पीला-सा,
नीला-सा