वचन की पहचान


वचन की पहचान

१. वाक्य में वचन की पहचान (एकवचन और बहुवचन) संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द से होती है ।

(क) घोड़ा दौड़ रहा है ।                           (क) घोड़े दौड़ रहे है ।
(ख) वह पड़ रहा था ।                             (ख) वे पड़ रहे थे ।
(ग) में लिख रहा हूँ ।                               (ग) हम लिख रहें है । 

२. जब संज्ञा तथा सर्वनाम से वचन की पहचान न हो तो क्रिया से उसकी पहचान की जाती है ।

(क) बालक खेल रहा है ।                         (क) बालक खेल रहे है ।
(ख) हिरण दौड़ रहा है ।                          (ख) हिरण दौड़ रहे है ।
(ग) मोर नाच रहा था ।                           (ग) मोर नाच रहे थे ।

एक वचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग

१. आदरसूचक शब्द के साथ एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग होता है ।

(क) मेरे पिताजी दफ्तर जा रहे है ।
(ख) श्रीराम सबके प्यारे थे ।

२. बड़्प्पन दिखाने के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है ।

(क) महात्मा गाँधी महान देश भक्त थे ।
(ख) वे कई बार देश के लिए जेल गए ।

३. दर्शन, आँसू, हस्ताक्षर, होश, प्राण, बाल, लोग आदि शब्द सदा बहुवचन में प्रयुक्त होते है ।

दर्शन -                    आपके दर्शन हेतु मै यहाँ उपस्थित हुआ हूँ ।
आसूँ -                     उसके आसूँ रोके नही रुक रहे थे ।
हस्ताक्षर -               उसके हस्ताक्षर देखकर ही मैने उसे रुपये दिये ।
बाल -                     मेरे बाल बहुत छोटे होते जा रहे है ।
लोग -                     लोग कहते है कि वह बहुत चालाक है ।

४. वाक्य बनाते समय कई एकवचन शब्दो के साथ गण, वर्ग, दल, आदि शब्द जोंड़ कर इस प्रकार वाक्य बनाते है ।

विद्यार्थी -                विद्यार्थीगण भाषण सुन रहे थे ।
अध्यापक -              आज भी अध्यापकवर्ग देश का निर्माण कर रहे है ।
टिड्डी -                    टिड्डीदल खेत की और बढ़ रहा है ।
हिन्दू -                    हिन्दू लोग सदा से ही उदार रहे है ।

बहुवचन के स्थान पर एकवचन

१. (क) भुसावल का केला प्रसिद्ध है ।
(ख) मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।
(ग) आधुनिक मानव स्वार्थी होता जा रहा है ।
(घ) मेरे मित्र के पास लाख रुपया है ।

२. स्वाभिमान अथवा अधिकार को प्रगट करने के लिए संज्ञा, सर्वनाम आदि का बहुवचन में प्रयोग होता है –

(क) हम (मैं) कहते है कि यह बात सत्य है ।
(ख) हम (मैं) तुम्हारे पिता होने के नाते तुम्हें सीख दे रहे है ।
(ग) पतञ्जलि ने कहा है कि हमारे सिद्धान्तों को कौन काट सकता है ।
(घ) अलंकारों का वर्णन हम आगे चलकर करेगें ।

                            
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