विस्मयादिबोधक
जो शब्द हर्ष (खुशी) शोक (उदासी) घृणा (नफरत) आश्चर्य (हैरानी)
आदि शब्दों को प्रगट करें, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते है ।
जैसे- हर्ष सूचक
- अहा! वाह! वाह वाह! शाबाश! धन्य!
उदाहरण - अहा!
कैसा सुहावना मौसम है ।
शाबाश! तुमने ठीक उत्तर दिया ।
शोकसूचक –हाय!
ओह! उफ! त्राहि त्राहि ।
उदाहरण – ओह!
बचाओ ।
हाय! नानाजी चल बसे ।
विस्मयसूचक –
अरे! हैं! ऍ! ओ हो! अरे वाह!
उदाहरण – (क)
ओ हो! तुम यहाँ हो ।
(ख) अरे! यह वही लड़का है ।
घृणासूचक – छिः!
हट! धत! धिक!
उदाहरण - छिः,
कितनी बूरी बात है ।
धिक!
एसे बच्चे को ।
भयसूचक – ओह!
ओह! बाप रे बाप! हाय!
उदाहरण - बाप रे!
इतना लम्बा चूहा ।
ओह! कितना लम्बा साँप ।
स्वीकार सूचक
- हाँ जी! जी हाँ! अच्छा! ठीक है ।
उदाहरण - हाँ!
मैं अवश्य आऊँगा ।
अच्छा! मैं काम करके जाऊँगा ।
चेतावनीबोधक
- सावधान! होशीयार! खबरदार!
सम्बोधन
- अरे! अरे! ओ! अजी!
कभी – कभी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों का प्रयोग भी विस्मयादिबोधक
अव्यय के रुप में किया जाता है ।
जैसे- संज्ञा
- हे राम! यह क्या हो गया ।
हाय राम! मै तो बर्बाद हो गया ।
विशेषण – कौन
यह लड़का तुम्हारा भाई है ।
क्या!
तुम्हारे भाई की हत्या हो गई है ।
क्रिया
- चल!
पगला कहीं का ।
जा! मैं तुमसे बात नही करता ।
कभी – कभी एक वाक्य या वाक्यांश भा विस्मयादिबोधक बन जाता है ।
जैसे-
जीते रहो! धन्य हो महाराज ।