द्वन्द्व
समासः- जिस समस्त पद में कोई पद द्रधान न हो और दोनों पदों का समान महत्व
हो तथा जिसमें पदों को मिलाने वाले समुच्चयबोधकों (और, तथा, वा, अथवा, एवं)का लोप हो,
वहाँ द्वन्द्व समास होता है ।
जैसे- सुख दुख सुख
और (या) दुख रात दिन रात और (या) दिन
दाल रोटी दाल और (या) रोटी राजा रंक राजा और (या) रंक
देश विदेश देश और (या) विदेश राधा कृष्ण राधा और कृष्ण
स्वर्ग नरक स्वर्ग और (या) नरक ऊँच नीच ऊँच और (या) नीच
बहूब्रीहि
समासः- जब दो शब्द समास युक्त होकर किसी तीसरे शब्द का विशेषण बन जाते
है, तब वे बहूब्रीहि समास कहलाते है । इस समास में समस्त खण्डों वाला कोई भी खण्ड प्रधान
नही होता, परन्तु कोई शब्द पद प्रधान होता है । जैसे –
पिताम्बर पीला हैं अम्बर जिसका अर्थात विष्णु
श्वेताम्बर
श्वेत हैं अम्बर जिसके सरस्वती
नीलकण्ठ
नीला हैं कण्ठ जिसका अर्थात
शिव
दशानन
दश हैं आनन जिसके अर्थात रावण
लम्बोदर
लम्बा हैं उदर जिसका अर्थात
गणेश
कर्मधारय और बहूब्रीहि समास में अन्तर
कर्मधारय में समस्त पद एक पद विशेषण या उपमान और दूसरा पद विशेषण
या उपमेय होता हैं । इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है ।
जैसे- ‘नीलकण्ठ’ नीला हैं जो कण्ठ ‘कमल नयन’ कमल जैसे नयन
बहूब्रीहि में समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण विशेष्य का सम्बन्ध
नही होता अपितु वह समस्त पद किसी अन्य संज्ञादि का विशेषण होता हैं । इसके साथ ही शब्दार्थ
गौण होता है और कोई भिन्नार्थ ही प्रधान होता है ।
जैसे-
नीलकण्ठ नीला है कण्ठ
जिसका अर्थात शिव
कमलनयन कमल जैसे
है नयन जिसके कृष्ण
पीताम्बर पीले
है अम्बर जिसके विष्णु