शुध्द वर्तनी और उसके नियम
हम अब तक ये समझ और सिख चूकें है
कि किस प्रकार स्वर और व्यंजनों से मिलकर शब्द की उत्पत्ति होती है, ठीक उसी प्रकार
अब हम शब्दों का सही उच्चारण करना सिखेंगे, कैसे मात्र एक मात्रा से ‘शुध्द’ का ‘अशुध्द’
और ‘अर्थ’ का ‘अनर्थ’ होता है।
शुध्द भाषा लिखने में वर्तनी का
सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यदि लिखते समय वर्तनी अशुध्द हो गई हो तो शब्द का उच्चारण
तो अशुध्द होगा ही, साथ ही उसके अर्थ- ज्ञान में भी भ्रम उत्पन्न हो जाएगा ; क्योंकि
वर्तनी में थोड़ा-सा परिवर्तन ही शब्द के अर्थ में भारी उलटफेर कर सकता है। जैसे ‘सुत’
और ‘सूत’, ‘कुंती’ और ‘कुत्ती’ आदि श्ब्दों में वर्तनी के मामूली से बदलाव ने अर्थ
को बिलकुल बदल डाला है; अतएव वर्तनी के सामान्य नियमों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
वर्तनी में अशुध्दि के कारण –
(क) गलत शब्द का प्रयोग
(ख) अशुध्द उच्चारण
(ग) सही वर्तनी लिखने में
अज्ञान
प्रायः ही अशुध्द वर्तनी का मुख्य
कारण है – प्रयुक्त किए गए शब्द का सही ज्ञान न होना। उदाहरण के लिए यदि हमें पता ही
न हो कि शव्द ‘आदी’ है या ‘आदि’ तो हम एक को दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त करने की भूल
कर बैठेंगे। इसी प्रकार यदि हम शब्द के उच्चारण में भूल करेंगे तो उसकी वर्तनी भी अवश्य
अशुध्द लिख बैठेंगे।कभी -कभी हम वर्तनी के सही रुप से ही परिचित नहीं होते और अशुध्दि
कर बैठते हैं। जैसे ‘द्वितिय’ शब्द को सही रुप का ज्ञान न होने से हम इसे ‘ द्वित्तीय’
भी लिखते हैं। अब यहाँ कुछ ऐसे उदाहरण दिए जा रहे हैं, जिसमें अशुध्द उच्चारण के कारण
वर्तनी अशुध्द हो गईः
‘अ’ के स्थान पर ‘आ’ और ‘आ’ के स्थान
पर ‘अ’ की अशुध्दि…..
अशुध्द शुध्द अशुध्द शुध्द
आधीन अधीन अहार आहार
चहिए चाहिए हस्ताक्षेप हस्तक्षेप
अशीर्वाद आशीर्वाद असन आसान
तलाब तालाब अरती आरती
अधिक्य आधिक्य परिवारिक पारिवारिक
परलोकिक पारलौकिक व्यवहारिक व्यावहारिक
निरस नीरस अनाधिकार अनधिकार
बारात बरात अवाज आवाज
जगेगा जागेगा नराज नाराज
अजमाइश आजमाइश भगीरथी भागीरथी
बदाम बादाम भगना भागना
बजार बाजार माहराज महाराज
गजरज गजराज अगामी आगामी
समाजिक सामाजिक प्रमाणिक प्रामाणिक
अविष्कार आविष्कार संसारिक सांसारिक
नदान नादान रसायनिक रासायनिक
मलूम मालूम अधिक्य आधिक्य
तत्कालिक तात्कालिक सप्ताहिक साप्ताहिक
आदी आदि क्षत्रीय क्षत्रिय