सर्वनाम
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढिए-
मोहन ने सोहन को पुकारा पर सोहन ने नही सुना । तब मोहन ने सोहन
के पास जाकर और सोहन का हाथ पकड़कर कहा कि सुनते क्यों नही । रमेश ने भी मोहन को कहा
कि मोहन तुम्हें कितनी देर से पुकार रहा है पर सोहन मोहन की बात नही सुन रहा है ।
उपर्युक्त गद्यांश में मोहन और सोहन शब्द बार –बार आए हैं, जिससे
भाषा सुनने और पढ़ने में अटपटी सी लगने लगी है । यदि हम इस गद्यांश को इस प्रकार लिखें
तो निश्चय ही अच्छा लगेगा ।
मोहन ने सोहन को पुकारा, पर उसने नही सुना, तब मोहन ने उसके पास
जाकर और उसका हाथ पकड़कर कहा, ‘सुनते क्यों नही’?
रमेश ने भी उसे कहा कि यह तुम्हें कितनी देर से पुकार रहा है, पर तुम उसकी बात
नहीं सुन रहे हो ।
गद्यांश
में यह सुधार किस कारण से आ गया?
यह सुधार आया है मोहन और सोहन संज्ञाओं के बदले ‘वह’, ‘उसने’,
‘उसके’, ‘उसे’, ‘तुम्हें’, ‘तुम’, ‘उसकी’ आदि शब्दों के प्रयोग किए जाने के कारण ।
संज्ञाओं के बदले प्रयोग मे आने वाले सभी शब्द सर्वनाम कहलाते
हैं । सर्वनाम का अर्थ है – सबका नाम । अर्थात जो सबका नाम है – वह सर्वनाम है । जैसे
– वह, तुम, में, हम
सर्वनाम के भेद
१. पुरुषवाचक - मैं, हम, तुम, वह
२. निश्चयवाचक – यह, ये, वह, वे
३. अनिश्चयवाचक – कोई और कुछ, जिसे, जो
४. सम्बन्धवाचक – कौन और क्या
५. निजवाचक – आप (स्वयं, खुद)
पुरुषवाचक सर्वनाम - कहने वाले, सुनने वाले अथवा जिसके बारे में
बात कर रहे हों, उसके बदले प्रयोग में आने वाले शब्द पुरुष्वाचक सर्वनाम कहलाते हैं
।
जैसे – कहने वाला -
मैं, हम
सुनने वाला - तू, तुम
अन्य जिसके बारे
में बात हो – वह, वे
पुरुषवाचक
सर्वनाम के भेद
१. उत्तम पुरुष - जिस सर्वनाम को बोलने वाला अपने लिए प्रयुक्त
करे, वह उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाता है । जैसे – मैं, हम
२. मध्यम पुरुष –जिस सर्वनाम को बोलने वाला सुनने वाले के लिए
प्रयुक्त करे, उसे मध्यम पुरुष वाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे – तू, तुम, आप
३. अन्य पुरुष – जिस सर्वनाम को बोलने वाला अन्य पुरुष के लिए
प्रयुक्त करे, वह अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाता है । जैसे – वह, वे
निश्चयवाचक
सर्वनाम - जो सर्वनाम किसी निश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु के बदले प्रयुक्त
हो, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है । जैसे –तुम्हारा पैन तो यह है, वह नही ।
यहाँ ‘यह’, ‘वह’ शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम है, क्योंकि यह और वह
शब्द निश्चित ‘पैन’ के लिए प्रयुक्त शब्द हैं, अतएव ये निश्चय वाचक सर्वनाम हैं ।
अनिश्चयवाचक
सर्वनाम – जो सर्वनाम किसी निश्चित वस्तु या प्राणी के बदले प्रयुक्त न
होकर अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु के लिए प्रयुक्त किया जाए, वह अनिश्चयवाचक सर्वनाम
कहलाता है ।
जैसे – (क) यहाँ कोई आया था । (ख) वह मेरे लिए कुछ लाया था ।
यहाँ कोई, और कुछ शब्द अनिश्चय वाचक सर्वनाम हैं ।
सम्बन्धवाचक
सर्वनाम - जो सर्वनाम शब्द वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम शब्द से सम्बन्ध
बताता है, वह सम्बन्ध वाचक सर्वनाम कहलाता हैं ।
जैसे – (क) जो जैसा करता है, वह (सो) वैसा भरता है ।
(ख) जैसी करनी
वैसी भरनी ।
यहाँ ‘जो’, ‘सो’, ‘जैसी’, ‘वैसी’ शब्द सम्बन्ध वाचक सर्वनाम है ।
प्रश्नवाचक
सर्वनाम - जो सर्वनाम पद प्रश्नवाचक
शब्द के रुप में किसी संज्ञा शब्द के बदले प्रयोग में लाया गया हो, उसे प्रश्नवाचक
सर्वनाम कहते है ।
जैसे – (क) यहाँ कौन आया था?
(ख) वह क्या लाया
था?
यहाँ ‘कौन’ और ‘क्या’ शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम है ।
निजवाचक
सर्वनाम - जो सर्वनाम ‘निज’ या अपने आप के लिए प्रयुक्त हो, उन्हैं निजवाचक
सर्वनाम कहते है ।
जैसे – (क) वह अपना काम आप करता है ।
(ख) तुम अपने
आप चले जाओ ।
(ग) आप किसी को
भेजिये नही, मैं आप (स्वयं) आ जाऊगाँ ।
यहाँ ‘आप’ शब्द निजवाचक सर्वनाम हैं ।