सर्वनामों की रुप रचना
१. ‘मैं’, ‘तू’, ‘वह’, ‘वे’ आदि सर्वनामों में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग
में परिवर्तन नही होता । दोनों लिगों में इनका
प्रयोग एक ही रुप में होता है । लिंग की पहचान क्रिया से होती है ।
जैसे – मैं जाता
हूँ । (पुल्लिंग)
मैं जाती हूँ । (स्त्रीलिंग)
वह हँसता है । (पुल्लिंग)
वह हँसती है । (स्त्रीलिंग)
२.सर्वनामों में वचन और कारक के आधार पर परिवर्तन होता है ।
जैसे - मैं पुस्तक पढ़्ता हूँ । (एकवचन)
हम पुस्तक
पढ़्ते हैं । (बहुवचन)
यह मेरा
घर है । (कारक –एकवचन)
ये हमारे
घर हैं । (कारक – बहुवचन)
३.सर्वनामों में सम्बोधन नही होता ।
४.एकवचन ‘कुछ’ परिमाण बोधक है और बहुवचन ‘कुछ’ संख्याबोधक हैं
।
जैसे – पीने के
लिए कुछ दूध दीजिए । (परिमाण बोधक, एकवचन)
वह खाने
के लिए कुछ सेब लाया । (बहुवचन सख्याकारक)
५.मध्यम पुरुष एक वचन ‘तू’ है ।इसका विशेष प्रयोग प्यार, दुलार,
अधिक, आत्मीयता तथा हीनता और बराबर भाव दिखाने के लिए होता है । श्रोता तथा पाठक के
लिए ‘तुम’ का प्रयोग होता है । आदर प्रगट करने के लिए ‘आप’ शब्द का प्रयोग होता है
।
६.मुझ, हम, तुझ, इस, इन, उस, उन, किस, किन में निश्चयार्थी – ई (ही) के योग से निश्चयार्थक रुप बनते है – मुझी,
हमीं, तुझी, इसी, उसी, उन्हीं, किसी, किन्हीं
।
७.कुछ सर्वनाम पुनरावृत्ति के लिए प्रयोग मे आते है, तब उनके अर्थ
में विशिष्टता आती है ।
जैसे - जो–जो आए, उसे बिठाते जाओ ।
आपने
वहाँ क्या–क्या देखा?
८.अन्य पुरुष बहुवचन रुप का आदर सूचक होने पर भी एक व्यक्ति के
लिए ही प्रयुक्त होता है ।
जैसे – महात्मा गाँधी महान व्यक्ति थे । उन्होंने देश को आजाद
कराया । यहाँ उन्होंने एक व्यक्ति के लिए ही प्रयुक्त हुआ है ।
९.लेखक कवि, नेता, राजा – महाराजा आदि अपने लिए ‘मैं’ के स्थान
पर प्राय; ‘हम’ का प्रयोग करते है । नेताजी ने कहा – हम देश की जनता की सेवा करेगें
।
१०. ‘क्या’ वर्तमान का प्रयोग कभी –कभी विस्मयादिबोधक की तरह किया
जाता है ।
जैसे – क्या तुम फेल हो गये ।