विशेषण
सर्वनाम का अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व नही होता, वह संज्ञा पर आश्रित
है । जब संज्ञा सामने न हो तो वह उसके स्थान पर प्रयोग में लाया जाता है । उस स्थिति
में वह संज्ञा जैसा ही महत्व पा जाता है; अतएव संज्ञा और सर्वनाम दोनों की ही विशेषता
का बोध कराने वाले शब्द विशेषण कहलाते है । उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान
से दिखिए –
१.अच्छे लोग कभी झुठ नही बोलते ।
२.यह लड़का बहुत बुद्धिमान है ।
३.तीन लड़के उधर जा रहे थे ।
४.कुछ कुत्ते भौंक रहे थे ।
५.कुछ दूध ले आओ ।
६.पाँच किलो दूध मोहन को दे दो ।
उपर्युक्त वाक्यों में अच्छे, यह,
तीन, कुछ, और पाँच शब्द क्रमशः लोग, लड़का, कुत्ते, दूध आदि संज्ञा शब्दों की भिन्न
–भिन्न प्रकार की विशीषताओं का बोध करा रहे है; अतएव ये शब्द विशेषण हैं ।
संज्ञा अथवा सर्वनाम पद की किसी भी विशेषता का बोध कराने वाले
शब्द विशेषण कहलाते हैं । जैसे – अच्छा, बुरा, थोड़ा, अधिक, तीन, चार, यह, वह, वे आदि
।
विशेष्य – जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाती है,
उसे विशेष्य कहते है ।
जैसे – उस फूल को वह सुन्दर लड़का ले गया और काले घोड़े पर चढ़कर
भाग गया ।
सुन्दर फूल - सुन्दर- विशेषण
फूल -
विशेष्य
अच्छा लड़का अच्छा - विशेषण
लड़का - विशेष्य
काला घोड़ा काला - विशेषण
घोड़ा - विशेष्य
प्रविशेषण - जो शब्द विशेषण की विशेषता बताए, उन्हें प्रविशेषण
कहते हैं ।
जैसे – (क) यह आम बहुत
मीठा हैं ।
यहाँ ‘बहुत’ शब्द
‘मीठा’ विशेषण की विशेषता बता रहा हैं, अतः प्रविशेषण हैं ।
(ख) शत्रुघ्न दशरथ का सबसे छोटा बेटा था ।
यहाँ ‘सबसे’ शब्द
‘छोटा’ विशेषण की विशेषता बतला रहा है अतः यह प्रविशेषण हैं ।